मौलिक अनुसंधान
अनुसंधान का वह स्वरूप जिसके तथ्यों का निर्धारण और उसके आधार पर संबंधों का विश्लेषण के बारे में परिश्रम पूर्ण ढंग से हम किसी निष्कर्ष की प्राप्ति करते हैं मौलिक ( maulika) अनुसंधान के रूप में जाना जाता है| मौलिक अनुसंधान का मुख्य उद्देश्य धांतो का निरूपण ज्ञान कोष के विस्तार सिद्धांतों के विस्तार और उनके समानीकरण से जुड़ा होता है।
दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि मौलिक ( maulika) अनुसंधान के अंतर्गत सिद्धांत और नियम उप नियमों और उनके विस्तृत समानीकरण पर आधारित होता है मौलिक अनुसंधान को नियंत्रित परिस्थिति में संपादित किया जाता है |आजकल शिक्षा शास्त्री के द्वारा मौलिक अनुसंधान से संबंधित कुछ निश्चित मौलिक शैक्षिक समस्याओं के अध्ययन हेतु इस प्रकार के अनुसंधान को संपादित करना होता है जो औपचारिक एवं अनौपचारिक दोनों ही परिस्थितियों में संपादित किए जा सकते हैं।
शैक्षिक संदर्भ में मौलिक अनुसंधान के कुछ उदाहरण उल्लेखनीय है जैसे जीन पियाजे द्वारा बालकों के वास्तविक संसार और उसने कार्य कारण संबंध के उदाहरण के बारे में किए गए अध्ययन प्रोफ़ेसर स्पिनर द्वारा अभिक्रमित अनुदेशन पद्धति एवं शिक्षण यंत्र से संबंधित प्रयोग मैक्लेइलैंड एवं एटकिंस के शोध अनुसंधान के माध्यम से प्राप्त निष्पत्ति अभिप्रेरणा का नवीन विचार नेट फेंडर के नेतृत्व में कक्षा शिक्षण की परिस्थिति में शिक्षण व्यवहार को ध्यान में रखकर निर्मित 2/3 का नियम अपने देश में महात्मा गांधी के बुनियादी शिक्षण के तहत तकली केंद्रित शिक्षा और अरविंदो घोष की आश्रम प्रणाली यह सभी शिक्षा के मौलिक अनुसंधान के उदाहरण माने जाते हैं|
मौलिक अनुसंधान की विशेषताएं
मौलिक अनुसंधान को पूरा करने में कराया अनियंत्रित पर शेती गठित की जाती है| जिसके आधार पर या प्रयास किया जाता है कि किसी सामग्री में चयनित प्रतिनिधि समूह प्रतिदर्श के अवलोकन द्वारा सामान्य करण किया जाता
मौलिक अनुसंधान एक प्रमुख उद्देश्य नवीन सिद्धांतों का निरूपण ज्ञान की सीमा में विस्तार लाना नए सिद्धांतों का विकास करना साथ ही साथ नियमों एवं नवीन शक्तियों की अवधारणा विकसित करना
मौलिक अनुसंधान का परिपेक्ष्य संदर्भ अमूर्त प्रकृति का होता है| जो तथ्यों एवं विचारों के परिमार्जन से संबंधित उच्च स्तरीय विचारधाराओं से मिलकर बना होता है
इस शोध का या अनुसंधान के अंतर्गत समस्या की प्रकृति को तथ्यों का अवधारणाओं को सिद्धांतों के बीच संबंधों का पता इस दृष्टि से लगाया जाताहै कि उनके आधार पर व्यवहार आत्मकथा है|आधार तैयार किया जा सके जिस पर किसी सिद्धांत को निर्मित किया जाना है।
अनुसंधान की परिकल्पना जिसे चिन्हित
समस्या के प्रस्तावित समाधान के रूप में निर्मित किया जाता है| उसे मौलिक अनुसंधान के अंतर्गत एक उच्च स्तरीय संबंध संरचना के आधार पर विकसित किया जाता है जो सिद्धांत निरूपण हेतु हमें प्रत्यक्ष रूप से सहायता प्रदान करती है
मौलिक अनुसंधान की एक दूसरी विशेषता यह भी है कि इसमें अनुसंधान की रूपरेखा को पर इस तरह पूर्ण ढंग से विकसित एवं क्रियान्वित किया जाता है जो एक उद्देश्य का कार्य करती है |जिसमें शोध के चारों को परिभाषित करने उनके बीच संबंध है निरूपितकरने उनके सत्यापन करने तथा मूल्यांकन करने की ओर प्रवृत्त होने और शैंकी की दृष्टि से उस से सत्यापित होने की जानकारी प्राप्त होती है
मौलिक अनुसंधान के अंतर्गत अनुसंधानकर्ता समग्र दर के आधार पर एक प्रतिनिधि रविदास को अपने अध्ययन हेतु चयनित कर लेता है और इस प्रकार प्राप्त प्रतिदर्श पर किए गए अध्ययन और उसके आधार पर प्राप्त निष्कर्षों के समग्र दर समान रूप से लागू हुआ मान लिया जाता है।
मौलिक अनुसंधान में सिद्धांतों के निवारण पर बल दिया जाता है जो आगे चलकर के सिद्धांत के सामान्य करण के लिए आधार का काम करता है
मौलिक अनुसंधान की सीमाएं मौलिक अनुसंधान के स्वरूप को जिस के आधार पर निष्कर्ष निरूपण की प्रक्रिया पूरी होती है उसे हम सामाजिक जगह भारत विज्ञान के संदर्भ में उसी रुप से लागू नहीं कर सकते हैं क्योंकि नियंत्रण और परामर्श पूर्ण ढंग से संपन्न होने वाले मौलिक अनुसंधान में शामिल तथ्यों को शिक्षा के क्षेत्र में होने वाली गतिशील और जटिल संदर्भ में नहीं लागू कर सकते इसलिए हैं हम यथाशक्ति मौलिक अनुसंधान से नहीं छोड़ सकते हैं|