ओज़ोन ( Ozone ) ओज़ोन का अणुसूत्र O3 होता है । आक्सीजन के तीन परमाणु मिलकर ओज़ोन का एक अणु बनाते है । यह नीले रंग की विशेष गंध ( सड़ी मछली जैसी ) की गैस है ।ओज़ोन परत समतापमंडल के तापमान को संतुलित बनाए हुए है तथा सूर्य से निकलने वाली हानिकारण पराबैंगनी किरणें को अवशोषित कर ग्रह पर जीवन की रक्षा करता है। इसकी वायुमण्डल में सर्वाधिक सान्द्रण ( Concentra tion ) 20 km से 55 km की ऊँचाई के बीच पाया जाता है । कुछ वैज्ञानिक इसे ओज़ोन परत भी ( Ozone Layer ) भी कहते हैं ।
ओज़ोन की उपस्थिति की खोज पहली बार 1839 ई0 में सी एफ स्कोनबिअन के द्वारा की गई जब वह वैद्युत स्फुलिंग का निरीक्षण कर रहे थे। लेकिन 1850 ई0 के बाद ही इसे एक प्राकृतिक वायुमंडलीय संरचना माना गया। ओज़ोन का यह नाम ग्रीक (यूनानी) शब्द ओज़ेन (ozein) के आधार पर पड़ा जिसका अर्थ होता है “गंध” इसके सांन्द्रित (गाढ़ा) रूप में एक तीक्ष्ण तीखी/कड़वी) गंध होती है।
समताप मंडल में ओज़ोन की उपस्थिति विषुवत-रेखा के निकट अधिक सघन और सान्द्र है तथा ज्यों-ज्यों हम ध्रुवों की ओर बढ़ते हैं, धीरे-धीरे इसकी सान्द्रता कम होती जाती है। ओजोन की सघन और सान्द्रता वहाँ उपस्थित हवाओं की गति, पृथ्वी की आकृति और इसके घूर्णन पर निर्भर करता है। ध्रुवों पर मौसम के अनुसार यह बदलता रहता है।
ओज़ोन निर्माण की प्राकृतिक विधि ( Natural Pro cess of Ozone Formation ) –
ओज़ोन एक अस्थिर ( Un stable ) गैस है । ओजोन का निर्माण और विघटन निरंतर होता रहता है । आक्सीजन ( O ) के अणुओं में सूरज से आने वाली पराबैंगनी किरणों के कारण अलग होते रहते है । क्षोभमण्डल ( Troposphere ) में भी तड़ित झाझा ( Thunderstorms ) के समय आक्सीजन में विद्युत विसर्जन ( Electric Discharge ) के कारण भी आक्सीजन के अणुओं में विलगाव अर्थात अलगाव ( Separation ) होता है ।
आप को पता है कि एक से अधिक परमाणु मिलकर अणु बनाते है अर्थात् आक्सीजन गैस ( O ) में आक्सीजन के दो परमाणु मिलकर ( O + 0 = O2 ) इसका एक अणु ( O ) दो अलग – अलग परमाणुओं ( 0+ 0 ) में विघटित हो जाते है फिर यही विलग परमाणु ( 0 ) आक्सीजन के अणु ( O. ) से जुड़कर ओज़ोन ( O ) बनाता है । यह प्रक्रिया सौर्थिक प्रकाश द्वारा सम्भव हो पाती है , अतः इसे प्रकाश रासायनिक अभिक्रिया ( Photo Chemical Reaction ) कहते है ।