हड़प्पा सभ्यता का सामाजिक एवं आर्थिक जीवन

हड़प्पा सभ्यता का सामाजिक एवं आर्थिक जीवन

हड़प्पा सभ्यता का सामाजिकएवं आर्थिक जीवन सुख सुविधाओं से परिपूर्ण था । हड़प्पावासी  का सामाजिक एवं आर्थिक जीवन सुखी एवं संपन्नता पूर्ण था । हड़प्पा सभ्यता का सामाजिक जीवन का मुख्य आधार परिवार होता था।

हड़प्पा सभ्यता के सामाजिक जीवन में गरीब अमीर ऊंच-नीच छोटे बड़े का कोई भेदभाव नहीं हुआ करता था। हड़प्पा सभ्यता का आर्थिक जीवन में संपन्न था हड़प्पा सभ्यता में वाणिज्य वर्ग के लोगों का शासन हुआ करता था

हड़प्पा सभ्यता के अर्थव्यवस्था आधार कृषि होता था  हड़प्पा सभ्यता का सामाजिक जीवन मे परिवार मातृसत्तात्मक होता था

हड़प्पासभ्यता के  का लोगों सामाजिक जीवन

हड़प्पा वासियों का सामाजिक जीवन सिंधु घाटी सभ्यता या हड़प्पा सभ्यता का सामान संभवत मात्री सत्तात्मक समाज था |

हड़प्पा वासी मुख्य चार प्रजाति से संबंधित थे-

1-भूममध्यसागरी

2-अल्पाइन

4- मंगोलोइड

5-प्रोटो अस्ट्रेलोइड

हड़प्पा सभ्यता के लोग सबसे ज्यादा भूमध्य सागरी लोग थे हड़प्पा सभ्यता में संभवतः वाणिज्य वर्ग के लोग का शासन रहा करता था इसके किसी भी पूरे स्थल से किसी धारदार हथियार के प्रमाण ना मिलने के कारण यह माना जाता है कि वहां के लोग शांति प्रिय थे। फिर भी वहां के विभिन्न पूरा स्थलों से कुठार वाले कटार गधा आदि के प्रमाण मिले हैं। परंतु तीर धनुष के नमूने कब मिले हैं। हड़प्पा सभ्यता में डालो तलवारों सिर्फ स्त्रानो एवं दूसरे पक्ष के हथियारों की अनुपस्थिति पाई गई है। हड़प्पा सभ्यता के लोग अनेक प्रकार के मृदभांड ओं का प्रयोग किया करते थे। यह मृदभांड चमकीले एवं गाड़ी रंग के मजबूत बर्तन होते थे यह सब एवं रंग से परिपूर्ण बर्तन होते थे  जो मुख्यतः यह चौक से निर्मित होते थे रंगीन मृदभांड दो की अपेक्षा सादे बर्तनों की अधिकता पाई गई है। हड़प्पा सभ्यता के बर्तनों या पात्रों में विभिन्न प्रकार की चित्रकारी की गई थी जिनमें लाल काले हरि सफेद एवं पीले रंगों का प्रयोग किया गया था। इनमें से मुख्यता लाल एवं काले रंग के मृदभांड प्राप्त होते हैं हड़प्पा चमकीले मृदभांड सबसे ज्यादा पुराने या सबसे ज्यादा प्राचीन माने जाते हैं।

हड़प्पा वासियों का आर्थिक जीवन

सिंधु घाटी सभ्यता यह हड़प्पा सभ्यता एक नगरी सभ्यता थी जिसकी अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार कृषि था। गेहूं और जो उनके मुख्य खाद्यान्न फसल थे इसके अतिरिक्त हापा सभ्यता के लोग चावल मटर सरसों चना इत्यादि अन्य प्रकार की फसलों का भी उत्पादन किया करते थे

हड़प्पा सभ्यता के पूरा स्थल से गन्ना व दाल के उत्पादन के बारे में जानकारी नहीं मिली है रंगपुर और लोथल से धान की भूसी के साथ मिले हैं हड़प्पा वासियों ने ही सर्वप्रथम विश्व में पहली बार कपास की खेती प्रारंभ की थी इसलिए हड़प्पा वासियों के कपास को यूनानी यों ने  सैंडल कह कर पुकारा है।

कालीबंगा के प्राक हड़प्पा ई चरण से हुए खेत के प्रमाण मिले हैं। वनमाली से मिट्टी का खिलौना हल मिला है 4 ग्राम लोथल से आटा पीसने की चक्की के प्रमाण मिले हैं हड़प्पा सभ्यता में गए और घोड़े के संबंध में प्रमाण काफी संदिग्ध अवस्था में है।

हड़प्पा सभ्यता से गाय के किसी भी प्रकार के प्रमाण नहीं मिले हैं परंतु को ब्रदर बैल पशुओं में सर्वाधिक लोकप्रिय था क्योंकि इसके कई प्रमाण वहां के विभिन्न पुरस्कार से प्राप्त हुए इसलिए गाय से भी वे निश्चित रूप से परिचित रहे  होंगे।

सुरकोटड़ा गुजरात से घोड़े के तथाकथित हड्डी के साथ मिले हैं इस प्रकार घोड़े की निर्माण मूर्ति के प्रमाण दो तन से और घोड़े के दांत के परमाणु और राणा गुंडई बलूचिस्तान पाकिस्तान से मिले हैं। घोड़े के संबंध में इतनी ही बात कही जा सकती है कि वे लोग इससे उतना परिचित नहीं थे  जितना वैदिक आर्य थे।

चंद्रभूषण ओवर लोथल से मनका बनाने का कारखाना के प्रमाण मिले हैं इसलिए मन का का निर्माण वहां का मुख्य निर्माण कार्य रहा होगा

हड़प्पा वासी तीन  व चांदी की प्राप्ति अफगानिस्तान से किया करते थे

हड़प्पा वासी सोने का आयात कोलार क्षेत्र अर्थात कर्नाटक से किया करते थे

हड़प्पा वासी तांबा का आयात खेतड़ी राजस्थान से किया करते थे

सेलखड़ी का आयात बलूचिस्तान पाकिस्तान किया करते थे जबकि फिरोजा और जेठ का आयात मद्धेशिया से किया करते थे

हड़प्पा वासी एक कीमती पत्थर लाजवर्त मणि का बहुतायत में प्रयोग किया करते थे जिससे वे लोग बंद खाता अर्थात अफगानिस्तान से प्राप्त किया करते थे

हड़प्पा वासियों  का बाहरी व्यापार

हड़प्पा वासियों ने अपने समकालीन मेसोपोटामिया इराक और फारस ईरान की सभ्यता के लोगों के साथ घनिष्ठ व्यापारिक संबंध बनाए थे। लोथल से फारस की मोहरे और मोहनजोदड़ो से मेसोपोटामिया मूल की की मोहरों के साक्ष्य मिले हैं।

इसी प्रकार मेसोपोटामिया इराक स्थित अक्काद के शासक सर्गोन ने इस बात का दावा किया है कि दिलमून फारस की खाड़ी में स्थित बहरीन माकन बलूचिस्तान पाकिस्तान और मेलूहा के जहाज और उसके बंदरगाह पर लंगर डालते हैं। दिलमून को सूर्योदय का क्षेत्र , साफ-सुथरे नगरों वाला स्थान एवं हाथियों का देश कहा गया है।

लोथल के पूर्वी भाग में मिले पक्की ईंटों के घेरे की व्याख्या गोदी बाड़ा या बंदरगाह के रूप में किया गया है हड़प्पा सभ्यता में व्यापारिक संबंध वस्तु विनिमय प्रणाली के आधार पर संचालित होता था हड़प्पा वासियों ने तोल के लिए 16 या उसके  गुणक अंको का प्रयोग अपने बाटो पर किया करते थे।

हड़प्पा सभ्यता के बाट  कई प्रकार पत्थरों के बने होते थे। भूरे चर्ट पत्थर के बाद सबसे अधिक संख्या में मिले हैं। इसके अतिरिक्त चूना पत्थर सेल खड़ी स्लेट  पत्थर कैल्सीटोनिन पत्थर जैसे पत्थरों से भी बाट का निर्माण होता था।

बाटो की आकृति एवं प्रकार अनेक प्रकार के होते थे जैसे घनाकार ढोला कार शंकु आकार बेलनाकार आदि लेकिन इनमें से सर्वाधिक घनाकार बाट मिले हैं

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