हड़प्पा वासियों का नगर नियोजन प्रणाली

हड़प्पा वासियों का नगर नियोजन प्रणाली 

हड़प्पा वासियों की नगर नियोजन प्रणाली महत्वपूर्ण विशेषताओं में से एक विशेषता थी। मोहनजोदड़ो हड़प्पा कालीबंगा की बस्तियों की नगर नियोजन की अनेक  समानताएं थी । हड़प्पा सभ्यता के शहर दो भागों में विभाजित होती थी पश्चिम का शहर एवं पूर्व का शहर। पश्चिम का हिस्सा किले बंद होता था और उसमें शहर के प्रशासन कार्य करने वाले लोग निवास करते थे जबकि बस्ती के पूर्व भारत में शहर के सामान्य लोग निवास करते थे और यह हिस्सा किले बंद अर्थात दीवारों से घेरा नहीं होता था। सिंधु घाटी सभ्यता के पूर्वी शहर की चौड़ाई अधिक होती थी जब किए पश्चिमी शहर की चौड़ाई कम होती थी। सिंधु घाटी सभ्यता के दुर्ग जो है ईटों के  ऊंची चबूतरे के ऊपर बनाए जाते थे। यह ईद के चबूतरे बड़ों से बचाते थे जो सिंधु घाटी सभ्यता के नगरों में आने वाली सबसे भैया आप दोनों में से एक थे। दुर्ग में बड़े-बड़े भवन होते थे जो संभवत प्रशासनिक एवं धार्मिक केंद्र के रूप में कार्य करते थे। मोहनजोदड़ो और हड़प्पा में किलो के चारों ओर ईद की दीवारें बनाई जाती थी। हड़प्पा मोहनजोदड़ो तथा कालीबंगा की नगर योजना में बहुत कम अंतर थे लगभग यह सभ्यताएं  एक जैसी थी। लेकिन कालीबंगा में जल निकासी प्रणाली की  व्यवस्था  ना होने तथा कालीबंगा के मकान कच्ची ईंट के बने होने के कारण कालीबंगा एक दीन हीन बस्ती लगती है।

 

   सिंधु घाटी सभ्यता के चांद हूं दोनों का पश्चिमी एवं पूर्वी दोनों भाग दूरी कृत नहीं था। चंद हुदरू सिंधु नदी के किनारे पाकिस्तान में स्थित हैं ।

कालीबंगा पूर्वी एवं पश्चिमी भाग दोनों अलग अलग रक्षा प्राचीर से गिरे थे।  कालीबंगा घग्गर नदी किनारे राजस्थान में स्थित है।

सिंधु घाटी का सुरकोटड़ा नाम पूरा स्थल का पूर्वी एवं पश्चिमी भाग दोनों एक ही रक्षा प्राची रो से गिरे थे। सुरकोटड़ा गुजरात के कच्छ जिले में स्थित है।

 

लोथल का पूर्वी एवं पश्चिमी शहर दोनों एक ही रक्षा प्राचीर से गिरे थे। लोथल भगवान नदी किनारे खंभात की खाड़ी में स्थित है।

धोलावीरा के शहरों को तीन भागों में बांटा गया था पूर्वी पश्चिमी एवं मध्य भाग जिसमें से पश्चिमी एवं मध्य भाग को एक ही रक्षा प्राचीर से गिर गए थे जबकि पूर्व भाग में कोई रक्षा प्राचीर नहीं था।

 

 

 

 सड़क निर्माण योजना

 

 हड़प्पा के लोगों ने अपने शहरों  आवागमन की सुविधा के लिए सड़कों की सुव्यवस्था की थी। हड़प्पा सभ्यता में सड़कें प्रायः एक दूसरे को समकोण अर्थात 90 अंश के कोण पर काट दी थी जिससे पूरा शहर एक जल जैसी पद्धति में यह शतरंज के बोर्ड की भर्ती बिछाया गया था जो हड़प्पा सभ्यता की बहुत महत्वपूर्ण विशेषता थी। सड़क 18 से 10 मीटर चौड़ी हुआ करती थी। हड़प्पा सभ्यता में सामान्यतः नगर में प्रवेश सड़कें पूर्वी हिस्सों से की जाती थी एवं जहां प्रथम सड़क से मिलती थी उसे एक्सपोर्ट सर्किट कहा जाता है। हड़प्पा सभ्यता की ज्यादातर साल की कच्ची हुआ  करती थी जबकि मोहनजोदड़ो की मुख्य सड़क को ठीक करो वह खंडी तीनों से पक्का बनाने का प्रयास किया गया था। हड़प्पा सभ्यता की सड़कों का निर्माण इस तरह से किया जाता था कि आसपास के भवनों को स्वच्छ हवा पर्याप्त मात्रा में मिल सकें।

 

 जल निकासी प्रणाली

 पुरानी सभ्यताओं में निकास नालियों का इतना सुंदर प्रबंधन यह व्यवस्था अन्य कहीं नहीं मिलता है जितना कि सिंधु सभ्यता यह हड़प्पा सभ्यता में मिलता है सिंधु सभ्यता है या हड़प्पा सभ्यता की जल निकास प्रणाली एक विशिष्ट उपलब्धि मानी जा सकती है। मोहनजोदड़ो की जल निकास प्रणाली अद्भुत थी। हड़प्पा की निकास प्रणाली तो और भी विलक्षण थी। हड़प्पा के अधिकांश घरों में स्नानागार होते थे। स्नानागार ज्यादातर घरों के कोने में होती थी जो सड़क  या गली ke pass Hote the jisse gande jal ki nikasi ki vyavastha ho sake स्नानागार निकास नालियों से जुड़ी होते थे हड़प्पा सभ्यता की सार्वजनिक नालियों में नर में भी बने होते थे जिसे लकड़ी या पत्थरों के खंडों से ढक दिए जाते थे एवं समय-समय पर उन्हें हटाकर नालियों की सफाई की जाती थी।

 

 भवन निर्माण योजना

हड़प्पा सभ्यता के भवनों के निर्माण हेतु पक्की ईंटों का प्रयोग किए जाते थे जो कि घनाकार होती थी । सिंधु घाटी या हड़प्पा सभ्यता  की पक्की इंटे 4:2:1 की अनुपात में बनती थी हड़प्पा सभ्यता की ईंटों की माप प्रायः 24:14:7 सेंटीमीटर होती थी। हड़प्पा वासी भवन निर्माण की नीव  में खंडित  ईटों  का प्रयोग करते थे। हड़प्पा सभ्यता में सामान्यतः अलंकृत  विहीन ईंटो का प्रयोग किया जाता था । परंतु इसका एकमात्र अपवाद कालीबंगा है जहां पर अलंकृत ईंटो के प्रयोग के साक्ष्य मिले है। हड़प्पा सभ्यता में सामान्यतः सीधी दीवारें  होती थी। हड़प्पा सभ्यता में भवनों के दरवाजे प्रायः गली की ओर खुला करते थे परंतु लोथल इसका एक अपवाद है जहां भवनों के दरवाजे गली की ओर न खोलकर के  मुख्य सड़क की  ओर खुलते थे । पूरआविद मैक को मोहनजोदड़ो से चुने पत्थर की बनी एक साहुल सुत्र के साक्ष्य मिले हैं जिसका प्रयोग आज की भांति ही दीवारों को सीधा बनाने के लिए किया जाता था।

सिंधु वासियों या हड़प्पा वासियों का

 

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