हड़प्पासभ्यता का उद्भव,
नमस्कार दोस्तों इस पोस्ट में हम लोग हड़प्पा सभ्यता एवं हड़प्पासभ्यता का उद्भव ,हड़प्पा सभ्यता की लिपि,हड़प्पा सभ्यता की जानकारी की पृष्ठभूमि ,हड़प्पा सभ्यता को अन्य नामों से क्यों जाना जाता है ?, हड़प्पा सभ्यता का विस्तार और हड़प्पा सभ्यता के महत्वपूर्ण बिंदु आदि के बारे में जानेंगे।हड़प्पासभ्यता का उद्भव
हड़प्पासभ्यता का उद्भव
भारत की प्राचीनतम सभ्यता हड़प्पा सभ्यता एक महत्वपूर्ण सभ्यता है | जो कि भारत की प्राचीनतम सभ्यता में ही नहीं बल्कि विश्व की प्राचीनतम सभ्यता में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। जिससे संबंधित प्रश्न प्रत्येक परीक्षाओं में पूछे जाते है। अतः सिंधु घाटी की सभ्यता महत्वपूर्ण अध्याय है।
हड़प्पा सभ्यता के अन्य नाम-
हड़प्पा सभ्यता ,को सिंधुघाटीसभ्यता सिंधु सभ्यता , कांस्य युगीन सभ्यता,सिंधु सरस्वती सभ्यता आदि नामों से पुकारा जाता है।
सिंधु घाटी सभ्यता-
हड़प्पा सभ्यता–
हड़प्पा सभ्यता को आद्यऐतिहासिक काल के अंतर्गत रखा गया है क्योंकि इस सभ्यता में लिखित और पुरातात्विक दोनों प्रकार के साक्ष्य मिले हैं परंतु हड़प्पा सभ्यता की लिपि अभी तक पढ़ी नहीं गई है जिसके कारण हड़प्पा सभ्यता को आद्यइतिहासिक काल के अंतर्गत रखा गया है।
हड़प्पासभ्यता का उद्भव या उत्पत्ति
हड़प्पा सभ्यता के उद्भव संबंधित सिद्धांत को दो भागों में बांटा गया है-
विदेशी उद्भव सिद्धांत-
इस सिद्धांत के अनुसार हड़प्पा सभ्यता के जनक दक्षिण मेसोपोटामिया के सुमेरियन लोग थे । इस विचार के समर्थक विद्वानों में डी एच ए गार्डनर, राखल दास बनर्जी. व्हीलर, सर जान मार्शल, आदि विद्वान थे।
हड़प्पा एवं सुमेरियन सभ्यता में असमानता भी थी जैसे सर्वाधिक पक्की ईंटों का प्रयोग हड़प्पा वासियों ने किया और हड़प्पा वासियों के ईटें दुर्लभ थे एक निश्चित आकार में थे। हड़प्पा की लिपि औरमाप तौल की प्रणाली भी मेसोपोटामिया से अलग थी । हड़प्पा वासी चावल की खेती करते तथा हाथी पालते थे | मेसोपोटामिया से इस तरह के प्रमाण नहीं मिलते ।
स्थानीय उद्भव सिद्धांत-
स्थानीय उद्भव सिद्धांत के समर्थक विद्वानों में ऑलचीन दंपत्ति , डी पी अग्रवाल, रफीक मुगल, सर रंगनाथनराव , आर एस बिष्ट आदि प्रमुख थे। इनका मानना है कि हड़प्पा का उद्भव स्थानीय नवपाषाण कालीन बस्तियों से हुआ था। इस सभ्यता की स्थानीय उद्भव का सिद्धांत हमारे सामान्य मासिक को ज्यादा संतुष्ट करते हैं , परंतु इसके एक स्थानीय उद्भव प्रक्रिया को रेखांकित करना भी एक मुश्किल भरा कार्य माना जाता है।
7000 ईसा पूर्व में पाकिस्तान में स्थित मेहरगढ़ के लोगों ने सर्वप्रथम कृषि बस्तियों का निर्माण किया।
5000 ईसवी पूर्व के आसपास लोग घास फूस और कच्ची मिट्टी के मकान बनाने लगे शिकार कम होने लगा और अनाज रखने के लिए हस्त निर्मित विद्वान का प्रयोग होने लगा।
3500 ईशा पूर्व के आसपास हुए कुम्हार के चाक का प्रयोग करने लगे |
हड़प्पा सभ्यता की जानकारी की पृष्ठभूमि
हड़प्पा सभ्यता का भौगोलिक विस्तार-
अप्पा सभ्यता का क्षेत्रफल 12,99,600 वर्ग किलोमीटर था।
हड़प्पा सभ्यता से संबंधित पूरा स्थल 3 देशों से प्राप्त हुए हैं |
हड़प्पा सभ्यता का सबसे पूर्वी पूरा स्थल है आलमगीरपुर उत्तर प्रदेश मेरठ में हिंडन नदी के किनारे स्थित है।
हड़प्पा सभ्यता का सबसे पश्चिमी पूरास्थल सुत्कागेनडोरदशक नदी किनारे बलूचिस्तान पाकिस्तान में स्थित है।
हड़प्पा सभ्यता का सबसे दक्षिणी पुरास्थल दैमाबाद प्रवरा नदी अहमदनगर जिला में महाराष्ट्र निश्चित है
हड़प्पा सभ्यता के अब तक 1500 पूरा स्थान की खुदाई हो चुकी है जिसमें से 900 पुरास्थल भारत में है। राजस्थान में स्थित हड़प्पा सभ्यता के पूर्व स्थलों के नाम- राजस्थान श्रीगंगा जिले में स्थित कालीबंगा।
गुजरात में स्थित हड़प्पा सभ्यता के पुरास्थल अहमदाबाद जिले में लोथल , रंगपुर गुजरात के कच्छ जिले में स्थित सुरकोटड़ा एवं धोलावीरा।
उत्तर प्रदेश में आलमगीरपुर नामक पूरा स्थल यह मेरठ में हिंडन नदी किनारे स्थित है एवं सहारनपुर जिले में स्थित हुलास प्रमुख हड़प्पा कालीन स्थल है।
पंजाब के पुरास्थल – पंजाब के रोपड़ जिले में स्थित गढ़वाली कुणाल। पंजाब के जींद जिले में स्थित राखी गण एवं गियानी जिले में स्थित मिताथल महत्वपूर्ण स्थल है ।
हड़प्पा सभ्यता की लिपि-
सभ्यता के लिखित साक्ष्य मिले हैं किंतु हड़प्पा सभ्यता की लिपि अभी तक पढ़ी नहीं जा सकती है। हड़प्पा सभ्यता की लिपि में 400 अक्षर है। यह यह अक्षर चित्र अक्षर है हड़प्पा सभ्यता के लिखने की शैली गोमूत्त्रीका है|
हड़प्पा सभ्यता से संबंधित महत्वपूर्ण बिंदु-
हड़प्पा नाना पुरस्थल रवि नदी किनारे पाया गया
मोहनजोदड़ो सिंध नदी किनारे स्थित है
चांद हो दूर हो सिंधु नदी किनारे स्थित है
मनुष्य ने सबसे पहले तांबे का प्रयोग किया
हड़प्पा सभ्यता में सड़क के प्रायः एक दूसरे को समकोण पर काटती थी जिससे पूरा शहर जल सी पद्धति यह शतरंज की बोर्ड की भांति दृश्य उत्पन्न करता था ।
हड़प्पा सभ्यता भारत की पहली नगरी सभ्यता थी । हड़प्पा सभ्यता की खोज नहीं हुई थी तब भारत की पहली सभ्यता वैदिक सभ्यता को माना जाता था जो कि ग्रामीण सभ्यता थी।
हड़प्पा सभ्यतासभ्यता का समाज मातृ सत्तात्मक समाज था।
हड़प्पा सभ्यता वासी मात्री देवी, पशुपति शिव ,शिवलिंग ,जल अग्नि, पेड़ , आदि की पूजा किया करते थे।
हड़प्पा सभ्यता में मात्री देवी की उपासना सबसे लोकप्रिय थी|
मोहनजोदड़ो से पशुपति शिव की आकृति वाली मोहर का प्रमाण मिले हैं
मोहनजोदड़ो से विशाल स्नानागार के प्रमाण मिले हैं जो जल पूजा की पुष्टि करता है।
जबकि पशुओं में बैल की पूजा किया करते थे ।
मृतकों के तीन तरह की अंतिम संस्कार किया करते थे- 1- पूर्ण समाधि करण
सुरकोटड़ा से घोड़े की हड्डी के साक्ष मिले हैं ।हड़प्पासभ्यता का उद्भव,हड़प्पासभ्यता का उद्भव,