नमस्कार मित्रो हम लोग इस पोस्ट में प्रयोजनवाद के शैक्षिक सिद्धान्त के बारे में जानेगे –
1. प्रयोजनवादी सत्य की विशिष्ट प्रकृति प्रयोजनवाद सत्य आदर्शवादी सत्य से अलग है उनके अनुसार सत्य सदैव परिवर्तनशील है । वह देश , काल व परिस्थितियों के अनुसार बदलता रहता है ।
विलियम जेम्स ने कहा “ सत्यता किसी विचार का स्थायी गुणधर्म नहीं होता है । वह तो अकस्मात् विचार से निर्वासित होता है । ” इस सत्य का निर्माण उसके परिणाम से होता है । जिस वस्तु की सहायता से हमें अपने जीवन के उद्देश्यों एवं लक्ष्यों की प्राप्ति हो सकती , वही फलदायक है अतः वही सत्य है ।
सत्य की तीसरी विशेषता है कि वह एक नहीं अनेक रूपों में है । यदि सत्य की कसौटी व्यक्ति का अनुभव है तो जितने आदर्श अनुभव की कसौटी पर सिद्ध होंगे , वे सभी सत्य होंगे । इस तरह प्रयोजनवाद अनेक सत्यों के अस्तित्व को स्वीकार करता है । इसलिए यह एक बहुतत्ववादी विचारधारा कहलाती है । सत्य से सम्बन्धित चौथी विशेषता है कि सत्य या वास्तविकता अभी निर्माण की अवस्था में है । प्रकृतिवादी प्रकृति को वास्तविक व पूर्ण निर्मित मानते हैं परन्तु , प्रयोजनवादी के अनुसार वर्तमान व भविष्य ज्यादा आशापूर्ण होत है ।
यह संसार आज भूतकाल से ज्यादा सुन्दर है तथा भविष्य में वर्तमान से श्रेष्ठतर होगा । इस प्रकार वास्तविकता पूर्ण नहीं निर्माण की अवस्था में है । इसमें बेहतरी की गुंजाइश बराबर रहती है । सत्य की अंतिम विशेषता है कि सत्य के निर्माण की प्रेरक मनुष्य को दैनिक जीवन की समस्याओं से ही मिलती है ।
समस्याओं के समाधान के लिए जब व्यक्ति प्रयोग करता है तभी उसे सफलता मिलती है और वह अपने सत्य का निर्माण स्वयं करता है । इस प्रकार समस्यायें सत्य के निर्माण हेतु प्रेरणा देती है ।
2. उपयोगिता के सिद्धान्त पर बल – प्रयोजनवाद एक उपयोगितावादी विचारधारा है । प्रत्येक सिद्धान्त , अनुभव व विचार तथ ा यथार्थ है , स्वीकारने योग्य है या उचित है , जब मनुष्य या बालक के लिए उपयोगी हो , अन्यथा वह व्यर्थ है ।
3. सामाजिक मूल्यों को महत्व – प्रयोजनवादी समाज में पूर्ण विश्वास रखते हैं उनका मानना है कि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है तथा समाज में ही उसका विकास संभव है ।
अतः मानव में सामाजिक मूल्यों का विकास होना चाहिये । इसी से वह अपना अनुकूलन समाज के साथ कर सकेगा । प्रयोजनवाद सामाजिक बंधनों व रूढ़ियों का घोर विरोध करता है ये व्यक्ति पर दबाव डालती हैं और उसे सुख प्राप्त करने से रोकती है ।
प्रयोजनवाद के शैक्षिक सिद्धान्त प्रयोजनवाद के शैक्षिक सिद्धान्त प्रयोजनवाद के शैक्षिक सिद्धान्त शिक्षा से अभिप्राय